मप्र के सागर में डीएम कार्यालय परिसर में स्थित एक पेड़ पर महिला ने रस्सी का फंदा बनाया और उस पर झूल गई। गनीमत रही कि आसपास मौजूद सुरक्षाकर्मियों की उस पर नजर पढ़ गई और उसे बचा लिया गया। महिला ने रोते हुए बताया कि उसी पट्टे की जमीन किसी दूसरी महिला को बेच दी गई है। उसे न्याय नहीं मिल रहा…बता दें कि तीन महीने में कलेक्टोरेट परिसर में आत्महत्या के प्रयास का यह दूसरा मामला है।
मप्र के सागर में कलेक्टोरेट परिसर में पीड़ित और दुखियारी महिला द्वारा जान देने के प्रयास का दूसरा सनसनीखेज मामला सामने आया है। खुरई ब्लॉक के बसाहारी से आई एक महिला ने यहां पेड़ से लटककर फांसी लगाने का प्रयास किया था। यदि समय पर सुरक्षाकर्मी उसे न उतारते तो उसकी जान जाना तय था। महिला अपनी जमीन किसी दूसरे को फर्जी तरीके से बेचे जाने के बाद से न्याय की गुहार लगा रही थी। बता दें कि बीते अक्टूबर में भी एक महिला ने कलेक्टोरेट परिसर में जान देने का प्रयास किया था।
सागर कलेक्टोरेट में जब कलेक्टर संदीप जीआर लोगों की शिकायतें सुन रहे थे, उसी दौरान परिसर में बाउंड्री के पास स्थित एक पेड़ से वायर की रस्सी से फंदा बनाकर एक महिला गले में डालकर झूल गई। आफिस के गेट और परिसर में मौजूद सुरक्षाकर्मियों व अन्य लोगों ने उसे फंदे पर झूलते देखा तो दौड़कर उसे संभाला और कुछ लोगों ने उसके गले से रस्सी का फंदा हटाकर उसे सकुशल उतार लिया। घटनाक्रम के बाद सारे परिसर में हड़कंप मच गया और लोग सकते में आ गए।
पति 12 साल से गायब, गांव की बंजारन पर शक
दरअसल खुरई—खिमलासा के बसाहारी गांव निवासी भूरीबाई अहिरवार कई दफा कलेक्टोरेट में अपनी शिकायत लेकर आ चुकी हैं। उनका कहना है कि गांव की कोई धनिया बंजारन नाम की महिला ने उसके पति को बहला—फुसलाकर मेलजोल बढ़ा लिया था। उसे पट्टे पर मिली 0.60 हैक्टेयर जमीन उसकी जानकारी के बगैर धनिया बंजारन ने पति से शराब के नशे में अपने नाम करा ली। भूरीबाई के अनुसार उनका पति बीते 12 साल से गायब है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि उनके पति के गायब होने में भी धनिया बंजारन का ही हाथ है। उसने कोर्ट में केस लगाया था, लेकिन बंजारन ने वकील खड़े कर दिए और वह केस हार गई। वह बार—बार जनसुनवाई में भी आ चुकी है, लेकिन उसे न्याय नहीं मिल रहा है। भूरीबाई ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि अब उनके पास कोई रास्ता नहीं बचा इसी कारण वे जान दे रहीं थी।
अक्टूबर में राधाबाई ने आत्मदाह का प्रयास किया था
बता दें कि बीते 1 अक्टूबर को जनसुनवाई के दौरान जरूआखेड़ा निवासी राधाबाई नाम की महिला ने खुद पर डीजल डालकर आत्मदाह करने का प्रयास किया था। हालांकि उसे लोगों ने आग लगाने से पहले ही पकड़ लिया था। राधा बाई अपनी अंकसूची में अपनी जाति आदिवासी की जगह यादव दर्ज कराना चाहती थीं। इस पर तमाम प्रयास करने के बावजूद उनकी जाति नहीं दर्ज हो पा रही थी। बहरहाल यह दो मामले तो बानगी है बीते समय में इस तरह की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जब लोगों ने अधिकारियों के कार्यालयों के सामने जान देने का प्रयास किया हो। इससे एक सवाल जरूर खड़ा हो रहा है कि लोग क्यों परेशान होकर अपनी जान देने पर मजबूर हो जाते हैं? क्या अधिकारी लोगों की सुनवाई नहीं कर रहे या फिर लोग प्रशासन और मीडिया का ध्यान खींचने के लिए इस तरह के हथकंडे अपना रहे हैं।