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IAS अधिकारी के खिलाफ जमानती वारंट हुआ जारी, तत्काल कोर्ट में पेश होने के निर्देश

warrant issued against IAS officer, instructions to appear in court immediately

by DNT Desk
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IAS अधिकारी के खिलाफ जमानती वारंट हुआ जारी, तत्काल कोर्ट में पेश होने के निर्देश

MP SAGAR : सागर जिले के बीना न्यायालय के फरमान से एक महिला IASअधिकारी की मुश्किलें बढ़ गई है बार बार समय देने के बावजूद आदेश का जानबूझकर पालन नहीं करना तथा आदेश की अवहेलना करना तत्कालीन बीना एसडीएम आईएएस अधिकारी रजनी सिंहको महंगा पड़ गया है कोर्ट ने इसे अपनी तौहीन मान IAS के खिलाफ एक हजार रुपए अर्थदंड सहित जमानती वारंट जारी कर आरोप निर्मित करने के लिए हाजिर होने का निर्देश दिया है।

सागर जिले के बीना न्यायालय द्वारा समय देने के बावजूद आदेश का जानबूझकर पालन नहीं करने तथा आदेश की अवहेलना करने पर तत्कालीन बीना एसडीएम आईएएस अधिकारी रजनी सिंह के खिलाफ एक हजार रुपए अर्थदंड सहित जमानती वारंट जारी कर आरोप निर्मित करने के लिए हाजिर होने का निर्देश दिया है। साथ ही तत्कालीन तहसीलदार मोनिका वाघमारे, कंप्यूटर आपरेटर जितेंद्र रैकवार को भी न्यायालय में हाजिर होने का आदेश दिया गया है।
जाने क्या है मामला
खिमलासा निवासी नंदकिशोर पटवा साल 2016 में बीना नगर के आचवल वार्ड में किराए के मकान में रहते थे। साथ ही पास के हिरनछिपा गांव में आधार कार्ड सेंटर चलाते थे। दिनांक 23 जुलाई 2016 को तत्कालीन बीना एसडीएम आईएएस रजनी सिंह, तहसीलदार मोनिका बाघमारे और कंप्यूटर आपरेटर उसके आचवल वार्ड स्थित घर पहुंचे और घर पर रखा कंप्यूटर सहित अन्य सामान उठाकर तहसील कार्यालय में ले गए थे। नंदकिशोर ने विरोध किया तो उसके विरुद्ध शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाने का प्रकरण पुलिस थाने में दर्ज कराया गया था। साल 2018 में नंदकिशोर को तहसील कार्यालय से एक पत्र मिला, जिसमें जब्त सामग्री प्राप्त करने के लिए उसे निर्देशित किया गया था। जब नंदकिशोर तहसील कार्यालय पहुंचा तो उसे आइरिश मशीन, फिंगर प्रिंट मशीन, वेब कैमरा प्रदान किया गया, लेकिन लैपटाप नहीं दिया गया। जिसके जिसके लिए उसने जानकारी ली तो बताया गया कि लैपटाप नजारत शाखा में जमा नहीं हुआ है। 20 अप्रैल 2018 को सूचना के अधिकार तहत जानकारी मांगी तो एसडीएम कार्यालय से बताया गया कि उपरोक्त संबंध में कोई रिकॉर्ड कार्यालय नहीं है।

मामले को लेकर नंदकिशोर ने 2 मई 2018 को परिवाद पत्र अधिवक्ता अमित सेन के माध्यम से न्यायालय में पेश किया गया था। जिसमें तत्कालीन एसडीएम आईएएस रजनी सिंह, तहसीलदार मोनिका वाघमारे और कंप्यूटर आपरेटर जितेंद्र रैकवार के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की गई थी। पांच साल की सुनवाई के बाद न्यायालय ने माना कि अधिकारियों ने वैधानिक सेवा नहीं दी और घर में घुसकर सामान की जप्ती की है। इसलिए आरोपित रजनी सिंह, मोनिका वाघमारे और जितेंद्र रैकवार के विरुद्ध 451, 380 के तहत प्रकरण दर्ज किया जाए। कोर्ट ने बीना थाना प्रभारी को 27 जुलाई 2024 को आदेश तामील कर हलफनामा दाखिल करने तथा विपक्षी अधिकारी की 23 सितंबर को पेशी सुनिश्चित करने का आदेश दिया है।

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