Home नेशनल दुर्लभ केस: मां के गर्भ में पल रहे शिशु के गर्भ में भी पल रहा था भ्रूण, 10 लाख में एकाध मामला

दुर्लभ केस: मां के गर्भ में पल रहे शिशु के गर्भ में भी पल रहा था भ्रूण, 10 लाख में एकाध मामला

मप्र के सागर में सामने आया है। चिकित्सा जगत में दुर्लभ से दुर्लभतम माना जाने वाला मामले में एक तीन दिन की नवजात अपने गर्भ में एक और भ्रूण लेकर जन्मी है। विशेषज्ञों के अनुसार करीब 5 से 10 लाख मामलों में ऐसा दुर्लभ मामला सामने आता है।

by DNT Desk
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सागर। मेडिकल साइंस के लिए अजूबा और अचंभित करने वाले मामले जब-तब सामने आते रहते हैं। इनमें  ‘फीट्स इन फीटू’ (Fetus in fetu) अर्थात मां के गर्भ में पल रहे शिशु के गर्भ में भी एक जिंदा भ्रूण पल रहा होता है। मप्र के सागर जिले के केसली में भी चिकित्सा जगत का दुर्लभ मामला सामने आया है। इसमें चार दिन पहले जन्मी एक नवजात के गर्भ में जिंदा भ्रूण लेकर जन्मी है।

सागर जिले के केसली ब्लॉक निवासी एक प्रसूता की चार दिन पहले डिलेवरी कराई गई थी। उसकी नवजात को जिला अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती कराया गया है। मामले में सीटी स्कैन जांच में सामने आया है कि नवजात के गर्भ में भी एक गर्भ मौजूद है। विशेषज्ञों के अनुसार यह भ्रूण भी जीवित अवस्था में है। मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने नवजात का परीक्षण किया है। बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के रेडियोलॉजी विभाग के डॉक्टर बताते हैं कि उनके जीवन में यह पहला मामला सामने आया है।

बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज (बीएमसी) में रेडियोलॉजी विभाग के एचआोडी डॉ. पुण्य प्रताप सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि लगभग 17 दिन पहले केसली निवासी 35 वर्षीय एक गर्भवती महिला जांच के लिए आई थी। सोनोग्राफी और ​सीटी स्कैन के बाद चौकांने वाली बात सामने आई थी, जिसमें पेट में मौजूद शिशु के पेट में भी एक जिंदा भ्रूण(टेराटोमा) मौजूद था। महिला का चार दिन पहले सामान्य प्रसव केसली में कराया गया था, जिसके बाद नवजात को जिला अस्पताल के एसएनसीयू में भर्ती कराया गया है। डॉ. सिंह के अनुसार मेरे जीवन में फीट्स इन फीटू इस तरह का पहला मामला सामने आया है।

सर्जरी ही एकमात्र विकल्प, विकसित नहीं हो सकता भ्रूण
बीएमसी के रेडियोलॉजिस्ट डॉ. वृषभान अहिरवार के अनुसार Fetus in fetu के ऐसे दुर्लभ मामलों में भ्रूण के अंदर भ्रूण जीवित नहीं रह पाते हैं। ऐसा एक भी केस हिस्ट्री में सामने नहीं आया है। दरअसल शिशु का शरीर बहुत छोटा होता है और पेट के अंदर भ्रूण को पर्याप्त ब्लड व अन्य पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं, जिस कारण भ्रूण जीवित नहीं पाता है। डॉ. वृषभान के अनुसार हमने जीवन में यह पहला केस देखा है। दुनिया में अब तक करीब 200 के आसपास फीट्स इन फीटू के मामले मिले हैं। करीब 5 से 10 लाख में एकाध मामला सामने आता है।

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