मप्र के सागर के रहने वाले आकाश चौरसिया (Akash Chourasiya) मल्टीलेयर फॉर्मिंग की तकनीक को ईजाद करने के लिए देश-दुनिया में पहचाने जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक उनके काम को पुरस्कृत कर चुके हैं। आकाश देश के अंदर ही नहीं दुबई सहित कई देशों में मल्टीलेयर, गो-आधारित खेती, जैविक खेती के मॉडल फॉर्म तैयार करा चुके हैं। उनके कपूरिया स्थित फॉर्म हाउस पर प्रैक्टिकली करीब डेढ़ लाख किसानों को वे प्रशिक्षण दे चुके हैं, तो दुनिया भर में 10 से 12 लाख किसान उनसे प्रशिक्षण ले चुके हैं। आकाश चौरसिया ने अब सूखती धरती को बचाने और बारिश में प्रत्येक एक एकड़ में करीब 30 लाख लीटर पानी को रिचार्ज करने खेतों के लिए वॉटर रिचार्ज का मॉडल तैयार किया है। कई वर्षों के शोध के बाद उन्होंने पानी रिचार्ज की विधियां तैयार की हैं। Daily National Times (DNT) से इसको साझा करते हुए उन्होंने बताया कि हमने पिछले 15 वर्षों में कृषि के गहरे अध्यन्न और अनुभव के बाद पानी संरक्षित (रिचार्ज) करने की कुछ विधियां (नवाचार) तैयार की है।
खेतों में ऐसे छोटे—छोटे उपाय कर बचा सकते हैं लाखों लीटर पानी
1. आकाश के अनुसार सर्वप्रथम पानी के उपयोग कम करने हेतु मल्टीलेयर कृषि पद्धति का नवाचार जो कृषि में लगभग 70 प्रतिशत पानी के उपयोग को कम कर देता है।
2. बारिश के गिरने वाले पानी को खेत में रोककर उसे रीचार्ज करना इसमें तीन विधियां तैयार की हैं, जिसमे पहली विधि खुले खेत के अंदर ढाल कि विपरीत दिशा में मेढ़ा बना कर फसल की बुवाई करना जिससे खेत में गिरने वाला पानी ढाल की दिशा में नहीं बह पता है और वह पानी धरती के अंदर जाता है। यह विधि केवल दोमट मिट्टी और रेतीली मिट्टियों के लिए है वहीं मल्टीलेयर कृषि प्रणाली में ढाल की दिशा में मेड़े से मेड़े के बीच में यानी की चलने वाले रास्ते में छोटे—छोटे (6 इंच गहरा और 9 इंच चौड़ा ) गड्डे बना कर पानी को रोकना।
3. अगली विधि जिसमें खेत की मेड़ से लग कर खेत के चारों तरफ़ नाली बना कर पानी को रोका जाता है इस नाली में खेत के अंदर पहली विधि से ओवरफ़्लो हुआ पानी आकर रुकता है। यह नाली 2 फीट गहरी और 2 फीट चौड़ी होती है और पूरे खेत को चारो तरफ़ से घिरी होती है।
4.अगले चरण में खेत के अंत में ढाल की दिशा में 10 वाई 10 फीट का गड्डा बना कर पानी को रोका जाता है इस गड्डे में दूसरी विधि नाली से ओवर फ़्लो हुआ पानी आता है और ढाल होने के कारण गड्डे में रुकता है और इस तरह से हर एक विधि में लगभग 10 लाख लीटर पानी को रोका जाता है।
मानसून में एक एकड़ में 1 लाख लीटर से अधिक पानी बरसता है
मौसम विभाग के आंकड़ों अनुसार अगर एक इंच बारिश होती है तो एक एकड़ के एरिया में एक लाख लीटर के आसपास पानी बरसता है और अगर सीजन में एवरेज़ 40 इंच बारिश होती है तो लगभग हम तीनों विधियों से लगभग 30 लाख लीटर पानी को रिचार्ज कर सकते है और इन विधियों को अपनाने के लिये कोई बहुत खर्च नहीं करना होता है। अपने पूरे खेत को रिचार्ज पिट बना कर ना केवल पानी धरती के अंदर रीचार्ज करते है बल्कि बेस क़ीमती मिट्टी को भी बहने से रोकते है। इसको एक नज़र में समझाने के लिए आकाश चौरसिया ने एक चित्र भी तैयार किया है, जो उन्होंने हमारे साथ साझा किया है। उनका दावा है कि यदि इन विधियों पर किसान काम करे तो अपने एक एकड़ खेत में बारिश के सीजन में करीब 30 लाख लीटर पानी को रिचार्ज किया जा सकता है।
बंजर जमीन में लहलरा रही फसलें
आकाश चौरसिया के कपूरिया स्थित फॉर्म हाउस पहाड़ी इलाके में स्थित है। यहां पानी के स्रोत के रूप में एक बोर व एक कुआं है जो मार्च महीने तक सूख जाते थे। वॉटर रिचार्ज विधि से कई सालों से वे अपने खेतों को ही पिट में परिवर्तित कर चुके हैं। इस कारण अब उनके यहां पानी की साल भर कोई कमी नहीं रहती है। वे जैविक खेती के माध्यम से एक एकड़ में 12 से अधिक फसलों की उपज ले रहे हैं। कड़ाके की गर्मी में भी भरपूर पानी आ रहा है।
भूमिगत जल रिजर्व मनी या एफडी की तरह होता है
आकाश चौरसिया वाटर क्राइसिस पर चिंता व्यक्त करते हुए बताते हैं कि हमने अंधाधुंध दोहन कर जलस्रोतों को समाप्त कर दिया है। पोखर, तालाब हमारे कैश मनी की तरह होते हैं, जिन्हें हम खत्म करते जा रहे हैं तो नदियां हमारी सेविंग मनी की तरह है, जिन्हें भी खत्म करते जा रहे हैं या गंदा कर दूषित कर रहे हैं। तीसरा भूमिगत जल हमारी रिजर्व मनी या एफडी मनी जो हम इमर्जेंसी में उपयोग करते है। जो हमारे ग्राण्ड वाटर (रिज़र्व वाटर) के रूप में है जिस पर हमने हाथ डालकर 2000 फीट तक पहुंचा दिया और कई इलाको में तो ख़त्म ही कर दिया। अब चिंता का विषय यह की बढ़ती आबादी और बढ़ते पानी के उपयोग को हम कैसे पूरा करे हमारा जीवन संकटपूर्ण स्थति में है। इसलिए हर किसान और हर व्यक्ति को अपने स्तर पर काम करना होगा।