सागर जिले की आंगनवाड़ियों व स्कूलों में रंगीन रोटियां देखकर हर कोई हैरान हैं। नौनिहालों की पोषण से भरपूर थालियों में लाल, हरी और नारंगी रंग की रोटियां परोसी जा रही हैं जो कुपोषण के खिलाफ जंग में कारगर हैं। दरअसल कलेक्टर संदीप जीआर ने कुपोषण से लड़ने के लिए अभिनव पहल की है, जिसमें पालक, चुकंदर, गाजर जैसी सब्जियों को मिलाकर रोटियां तैयार कराई जा रही हैं।
सागर। मप्र के सागर में कलेक्टर संदीप जीआर ने कुपोषण मुक्ति के लिए एक कदम आगे जाकर अभिनव पहल की है। यहां की चुनिंदा आंगनबाड़ियों में नौनिहालों को परोसी जाने वाली पोष्टिक थाली में ‘रंगीन रोटियां’ नजर आ रही हैं। दरअसल इस जिले में ‘रंगीन रोटी’ ‘Rangeen Roti’ Campaign चलाया जा रहा है, ताकि कुपोषण से पार पाया जा सके। खास बात यह है कि अब इसमें कैंपेन में आंगनबाड़ी के साथ—साथ प्रायमरी स्कूलों के मिड—डे मील को भी जोड़ा गया है।
सागर जिले में कलेक्टर संदीप जीआर ने कुपोषण मुक्ति के लिए अनूठी व अभिनव पहल प्रारंभ की है। पूरे जिले में ‘रंगीन रोटी’ कैम्पेन शुरू किया है। महिला बाल विकास विभाग की अगुवाई में आंगनबाड़ी केन्द्रों को धीरे—धीरे कर ‘रंगीन रोटी अभियान’ से जोड़ा जा रहा है। कैंपेन के जरिए जिले के सामान्य और कम वजन व कुपोषित बच्चों के भोजन को और ज्यादा पोषण-युक्त आहार बनाया जा रहा है। बीते अगस्त महीने में चुनिंदा आंगनबाड़ी केंद्रों से प्रारंभ किए गए रंगीन रोटी अभियान को अब जिले के ग्रामीण इलाकों में स्कूलों तक ले जाया जा रहा है। जिला प्रशासन के तमाम विभागों को इसकी मॉनिटरिंग का काम सौंपा गया है।
‘रंगीन रोटी’ कैम्पेन को ऐसे समझें
अनूठे ‘रंगीन रोटी’ कैम्पेन में आंगनवाड़ी केन्द्रों में बच्चों को परोसे जा रहे भोजन को और ज्यादा पोषण-युक्त बनाने के लिए रंगीन रोटियां तैयार की जा रही हैं। इन रंगीन रोटी में पालक, मुनगे (सहजन) के पत्ते, चुकन्दर, गाजर और टमाटर जैसी रंग-बिरंगी सब्जियां मिलाई जाती हैं। कैम्पेन का उद्देश्य आंगनवाड़ी के बच्चों को भरपूर पोषण युक्त भोजन परोसना है, ताकि उनका वजन बढ़े और खून की कमी दूर हो सके। बता दें कि रंगीन रोटियों को लेकर बच्चों में भी उत्साह है। स्वाद और पोषण से भरपूर ये रंगीन रोटियां छोटे—बड़े बच्चे चाव से खा रहे हैं। कैंपेन के शुरूआती सकारात्मक परिणाम भी सामने आने लगे हैं।
पूरे जिले में चलाया जा रहा अभियान
जिला कार्यक्रम अधिकारी बृजेश त्रिपाठी ने बताया कि शहर की कुछ आंगनवाड़ियों में 30 अगस्त से अभियान की शुरुआत की गई थी। जिसमें बच्चों को कभी पालक से बनी हरी रोटी, कभी चुकंदर से बनी लाल रोटी, कभी गाजर से बनी नारंगी रोटियां परोसी जा रही हैं। खास बात ये है कि ये रोटियां बच्चों को पसंद आ रही हैं। आगामी कुछ दिनों में जिले के सभी आंगनवाड़ी केंद्रों में ये व्यवस्था शुरू हो जाएगी। आज बच्चों से लेकर बूढ़ों तक, महिला से लेकर पुरुष हर किसी के लिए पोषण जरूरी है। सभी को ध्यान देना चाहिए कि बच्चों के भोजन में पोषक तत्वों का समावेश हो, इसलिए रंगीन रोटी अभियान चलाया गया है। पोषक तत्वों से भरपूर भोजन बच्चों को खिलाया जा रहा है। रंग बिरंगी रोटी बच्चों को आकर्षित कर रही हैं और इसका फायदा उनके शरीर को पौष्टिक आहार के रूप में मिल रहा है।
आंगनबाड़ी केंद्रों में ‘मुनगा’ के पौधे लगाएं जाएंगे
जिले के ऐसे आंगनबाड़ी केंद्र जिनके स्वयं के भवन है और आसपास खाली व खुली जगह है, ऐसे केंद्रों में सहजन अर्थात देसी मुनगा के पौधे लगाए जाएंगे। केंद्र में तैनात स्टाफ और अन्य लोग इन मुनगा के पौधों की देखभाल करेंगे। बता दें कि मुनगा प्राकृतिक रूप से पोषण से भरपूर होता है। इसकी फलियां (कौंसे), पत्तियां और फूल में भरपूर पोषक तत्व होते हैं जिनके सेवन से वजन तो बढ़ता ही है, एनिमिया अर्थात खून की कमी भी पूरी होती है। यह कई बीमारियों को भी दूर करता है।
बच्चों की सेहत में आया सुधार: कलेक्टर
कलेक्टर संदीप जीआर ने जानकारी देते हुए बताया कि रंगीन रोटी अभियान के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। आंगनबाड़ी में आने वाले बच्चों में पोषण स्तर धीरे-धीरे सुधर रहा है। बच्चों में भोजन को लेकर रुचि बढ़ रही है। वे नियमित रूप से आंगनबाड़ी केन्द्रों में आकर भोजन कर रहे हैं। उनके माता-पिता भी इस पहल से प्रभावित हुए और घर पर भी बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन बना रहे हैं।