मप्र की राजनीति में कद्दावर नेता के रूप में पहचाने जाने वाले व दिग्गज पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह की एक तस्वीर अचानक से चर्चा में आ गई। जब तक मंत्री रहे दोनों में अबोला रहा! अब अपेक्षित सम्मान न मिलने से उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। सो दोनों साथ—साथ नजर आ रहे हैं। सागर में आयोजित रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में दोनों को मंच पर उचित स्थान तक नहीं मिल सका। वे सीएम का संबोधन शुरू होने से पहले ही मंच से उठकर बाहर निकल गए थे!
सागर। बुंदेलखंड से आने वाले प्रदेश के सबसे सीनियर व 9 बार के विधायक और पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव व कभी सेकंड सीएम कहलाने वाले खुरई विधायक व पूर्वगृह मंत्री भूपेंद्र सिंह अपनी ही सरकार और संगठन में उपेक्षित हैं। उन्हें मंत्री नहीं बताया तो ठीक, लेकिन अब सीएम के मंच पर सबसे आखिरी की कुर्सियों पर बैठाया जा रहा है। शुक्रवार को सागर में रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव में उपेक्षा से आहत दोनों दिग्गज नेता सीएम का संबोधन शुरू होने से पहले ही मंच से उठकर चले गए। बता दें कि दोनों एक ही कार में बैठकर चले गए थे। इसका एक फोटो सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां भी बटोर रहा है।
मध्य प्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव की सरकार द्वारा सागर में चौथा रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव कराया गया। इसमें मप्र के कद्दावर नेता व पूर्व मंत्री और सबसे सीनियर विधायक गोपाल भार्गव और बुंदेलखंड में कभी सेकंड सीएम कहलाने वाले पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह उपेक्षित रहे। उन्हें मंच पर उचित स्थान भी नहीं दिया गया। बता दें कि दोनों नेताओं को सीएम के दाएं—बाएं 9वें नंबर की कुर्सियों पर बैठाया गया था। हालांकि उनसे काफी जूनियर विधायकों को कार्यक्रम में ज्यादा तब्बजों दी गई।
सीएम डॉ. मोहन यादव जब मंच पर बोलने आए तो दोनों जा चुके थे। सीएम ने खुद मंच से वरिष्ठ नेताओं के मौजूद न होने की बात कही थी। दरअसल उचित सम्मान और उपेक्षा से आहत होकर दोनों सीनियर विधायक व पूर्व मंत्री व रहली विधायक गोपाल भार्गव और पूर्व मंत्री व खुरई विधायक भूपेंद्र सिंह मंच से उठकर बाहर निकल गए थे। वे कॉन्क्लेव स्थल से एक ही गाड़ी में सवार होकर गए थे, जिसमें गोपाल भार्गव आगे की सीट पर तो भूपेंद्र सिंह पीछे की सीट पर बैठे थे। यही फोटो देर शाम राजनीतिक गलियारों और सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बनी हुई थी।
सागर विधायक और मंत्री गोविंद सिंह आसपास नजर आए
जवाहर लाल नेहरू पुलिस अकादमी मैदान में आयोजित बुंदेलखंड रीजनल इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के आगमन के साथ ही सागर जिले से इकलौते मंत्री गोविंद सिंह राजपूत व सागर विधायक शैलेंद्र जैन ही उनके साथ साथ नजर आए। पूरे कार्यक्रम में सीएम के साथ यही केंद्र में रहे। जबकि बुंदेलखंड से आने वाले अन्य मंत्री जिनमें लखन पटेल, धमेंद्र लोधी और दिलीप अहिरवार को मंच पर जगह तो मिली, लेकिन वे सीएम के ज्यादा नजदीक नहीं दिखे।
सीएम ने सम्मान देने का बराबर प्रयास किया, बार-बार बुलाया
हालांकि कार्यक्रम में सीएम ने कई दफा सीनियर विधायक गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह को बुलाकर आगे किया। दीप प्रज्जवलन के समय भी उन्होंने गोपाल भार्गव को हाथ पकड़कर आगे किया था, तो जब सम्मान—पत्र बांटे जा रहे थे, उस दौरान उन्होंने गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह और लता वानखेड़े को अपने पास बुलाकर बाजू में खड़ा कर सम्मान दिया था।
शिवराज के सीएम रहते भूपेंद्र की तूती बोलती थी
बता दें कि पूर्व सीएम और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री रहते बुंदेलखंड में उस समय मंत्री भूपेंद्र सिंह की तूती बोलती थी। सत्ता का वे केंद्र थे। शिवराज के खास मंत्रियों में वे शुमार थे। उनके फैसलों को सत्ता और संगठन ने कभी नकारा नहीं है। इसी प्रकार गोपाल भार्गव प्रदेश के सबसे सीनियर विधायक हैं। बतौर मंत्री वे प्रदेश में काफी कद्दावर माने जाते रहे हैं। लेकिन प्रदेश में सीएम डॉ. मोहन यादव की सरकार में इन दोंनों को मंत्री नहीं बनाया गया। इस कारण दोनों नेता खुद को काफी उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। दोनों एक दूसरे के धुर विरोधी भी माने जाते रहे हैं। इनके बीच अबोला बना रहता था, लेकिन जब शुक्रवार को दोनों एक साथ एक गाड़ी में नजर आए तो भाजपा और सत्ता में इनकी चर्चा होना लाजिमी है कि दोनों धुर—विरोधी और धुरंदर एक ही नाव पर सवार कैसे हो गए।