*मप्र सरकार के पास विमुक्त घुमन्तु एवं अर्द्धघुमन्तु परिवारों का डाटा ही नहीं है, इनके कल्याण के लिए बजट का अभाव*
— देवरी विधायक के सवाल पर विभाग की राज्यमंत्री कृष्णा गौर ने सदन में दिया जवाब
PM नरेंद्र मोदी और MP में डॉ. मोहन यादव की सरकार विमुक्त, घुमन्तु और अर्ध-घुमंतू जनजातियां जातियों व जनजातियों के कल्याण के लिए तमाम तरह की योजनाएं संचालित कर रही हैं, ताकि इन्हें समाज और विकास की मुख्य धारा में जोड़ा जा सके… लेकिन मप्र सरकार घुमंतु प्रजातियों के कल्याण के लिए गंभीर नजर नहीं आ रही हैं। इसकी बानगी देखिये कि सरकार के पास इन जनजातियों का कोई रिकॉर्ड ही नहीं है। यह बात विभाग की राज्यमंत्री कृष्णा गौर ने खुद स्वीकार की है। सदन में उन्होंने देवरी विधायक के सवाल के जवाब में यह जानकारी दी है।
सागर। मप्र सरकार के पास विमुक्त, घुमन्तु और अर्धघुमंतू जनजातियां जातियों और जनजातियों को कोई खास रिकॉर्ड मौजूद नहीं है। डॉ. मोहन यादव सरकार खुद इस बात को स्वीकार कर रही है। ऐसे वचिंत और दर-दर भटकने वाले समुदायों के कल्याण के लिए बनाया गया मंत्रालय हाथ पर हाथ धरे बैठा है। दरअसल सागर जिले के देवरी से भाजपा विधायक बृजबिहारी पटेरिया ने विधानसभा में सवाल पूछा था। विभाग की राज्यमंत्री कृष्णा गौर ने सदन में जो जवाब दिया है, वह हैरान करने वाला है। उनका कहना है कि प्रदेश सरकार के पास ऐसी विमुक्त, घुमन्तु और अर्घघुमन्तु जातियों और जनजातियों को डाटा बेस तैयार नहीं है। इसी कारण इनकी संख्या बताया जाना मुमकिन नहीं है। उन्होंने सदन में सामान्य जानकारी के अनुसार सागर जिले की खुरई, सुरखी, बंडा और देवरी विधानसभा के कुछ क्षेत्रों में इनके निवासरत होने की जानकारी दी है। हालांकि प्रदेश की जानकारी को लेकर सरकार का कहना है कि विमुक्त, घुमन्तु एवं उदयुमन्तु समुदायर्थी का डाटा बेस उपलब्ध न होने से जानकारी दी जाना संभव नहीं।
देवरी विधायक पटेरिया के सवाल के जवाब में विमुक्त, घुमन्तु और अर्धघुमंतू कल्याण राज्यमंत्री कृष्णा गौर ने विभाग की तरफ से जवाब में बताया है कि सागर जिले में खुरई विधान सभा क्षेत्र के मॉलथौन, संजरा (लिधौरा), सुरखी विधानसभा क्षेत्र के राहतगढ़, बिजपुरी (बेरखखेडी), देवरी विधानसभा क्षेत्र के सिलारी गांव और केसली में इन समुदाय के परिवार निवासरत है।
बंडा में 50 और बिलहराा में 20 सीटर छात्रावास स्वीकृत, लेकिन छात्र नहीं मिल रहे
विभागीय राज्यमंत्री कृष्ण गौर के जवाब में एक और खुलासा हुआ है, जिसमें सागर विकासखण्ड के बंडा में विमुक्त घुमन्तु एवं अर्द्धघुमन्तु 50 सीटर छात्रावास एवं विमुक्त घुमन्तु एवं अर्धघुमंतू 20 सीटर आश्रम बिलहरा सागर में स्वीकृत है। लेकिन इन छात्रावास और आश्रम के लिए पर्याप्त संख्या में विद्यार्थी उपलब्ध नहीं हो पा रहे। इस कारण ये दोनों संस्थायें संचालित ही नहीं हैं। बावजूद इसके विभाग ने इनका सर्वे नहीं कराया है। सरकार की तरफ से मंत्री ने डेमेज कंट्रोल करते हुए बताया है कि विभाग द्वारा वर्तमान में डाटाबेस तैयार कराया जा रहा है। ऐसे परिवारों के पंजीकरण की प्रक्रिया पर कार्यवाही चल रही है।
सरकार इन सुविधाओं के होने का दावा कर रही है
सरकार के पास जिन प्रदेश में विमुक्त, घुमन्तु एवं उदयुमन्तु समुदायर्थी का डाटा बेस उपलब्ध नहीं है और जानकारी देने में सदन में असमर्थता जताई जा रही है। उनको लेकर मंत्री का दावा है कि सागर जिले में ऐसे समुदायों के लिए बिजली, पेयजल, नाली, सड़क, प्राथमिक शाला एवं आगनवाड़ी आदि मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हैं। केसली अंतर्गत उक्त समुदाय हेतु पेयजल की सुविधा, पक्की सड़क, विद्युत सेवाएं, शासकीय प्राथमिक शाला एवं आंगनवाडी केंद्र की सुविधाए उपलब्ध है। सिलारी गांव में पेयजल व लगभग 15 किमी पर पक्की सड़क की सुविधा उपलब्ध है। क्षेत्र में अनुपलब्ध अन्य गुरुभूत सुविधाओं के लिए संबंधि तों को निर्देशित किया गया है। विभाग के पास सीमित वित्तीय संसाधन होने से समय-सीमा बताना संभव नहीं है। इनके किए प्रधानमंत्री आवास की सुविधा उपलब्ध है।