सागर। मां भगवती के दरबार टिकीटोरिया तीर्थ क्षेत्र रहली में, श्री महारूद्र यज्ञ एवं श्री शिवलिंग निर्माण शिव महापुराण सत्संग का कार्यक्रम के प्रथम दिवस पर हर—हर महादेव के जयकारों के साथ ब्रह्मलीन संत पंडित श्री देव प्रभाकर शास्त्री दद्दाजी के कृपा पात्र गृहस्थ संत केशव गिरी महाराज के पावन सानिध्य में यज्ञ प्रारंभ हुआ।
पंडित अवधेश हजारी ने बताया कि प्रातः 7:00 बजे पार्थिव शिवलिंग निर्माण भक्तों के द्वारा प्रारंभ हुआ, 10:00 बजे से यज्ञ शाला में सामूहिक रूप से हवन आहुतियां प्रदान की गई, महाराज जी द्वारा श्री शिव महापुराण की अमृतमई कथा सभी भक्तों को सुनाई गई। महाराज जी ने कथा कहते हुए कहा कि पवित्र श्रावण माह में भगवान शिव की पूजा दशा और दिशा दोनों को बदलने वाली है, क्योंकि इस संसार में जिन्होंने अमृत का पान किया वह तो देव हो गए, लेकिन जिन्होंने संसार के कल्याण के निमित्त विष का पान किया वह महादेव हो गए। इस संसार में भगवान शिव ही ऐसे देव है जो मोक्ष प्रदान करते हैं, अन्य देवताओं की आराधना से धर्म, अर्थ, काम प्राप्त हो सकता है, लेकिन भगवान शिव ऐसे देव हैं जिनकी आराधना करने से धर्म, अर्थ, काम और विशेष रूप से मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। पुनर्जन्मनविद्यते फिर पुनः जीव का जन्म नहीं होता। वह अनंत में समाहित हो जाता है।
महाराज जी ने कहा इस संसार में माता-पिता ही ब्रह्मा विष्णु और शिव का स्वरूप हैं क्योंकि ब्रह्मा जी के समान हमारा निर्माण करते हैं, क्योंकि ब्रह्मा जी निर्माण करता है,विष्णु भगवान तरह पालन और पोषण करते हैं, भगवान विष्णु पालन कर्ता है, भगवान शिव की तरह हमारे भौतिक जीवन में अनेक बुराइयों को दूर करते हैं, भगवान शिव संघार कारक है, माता-पिता में ही समस्त देवताओं का वास, समझना चाहिए हमे।इसलिए संसार में माता-पिता की सेवा करना ही सर्वश्रेष्ठ है हर मनुष्य को यत्न करके प्रयत्न करके किसी भी स्थिति में उसे अपने माता-पिता और बुजुर्गों की सेवा करे और उनका आशीर्वाद अवश्य लेना चाहिए।प्रत्येक सनातनी के मस्तक पर चंदन,शिव का वंदन, और माता-पिता का अर्चन करना चाहिए जो मनुष्य ऐसा करते हैं वे श्रेष्ठ बनकर संसार में श्रेष्ठता को प्राप्त करते है।