सागर। मप्र के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज Sagar में बीती रात MICU में एक मरीज की नासमझी और बीड़ी पीने की लत ने पूरे अस्पताल को खतरे में डाल दिया था। आक्सीजन मास्क हटाकर कंबल में मुंह छिपाकर उसे बीड़ी सुलगाना भारी पड़ गया था। आग भड़की तो वह चित्कार कर उठा। गनीमत रही कि समय रहते स्टाफ ने समझादारी दिखाई और आग बुछा ली गई।
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज की एमआईसीयू में बीती देर रात प्रबंधन, स्टाफ और मरीज की लापरवाही से वार्ड में भर्ती मरीजों की जान हलक में आ गई। एमआईसीयू में देवरी निवासी नन्हें भाई अहिरवार लीवर की बीमारी के इलाज के लिए भर्ती हुआ था। वह आक्सीजन सपोर्ट पर था। रात में उसे बीड़ी पीने की तलब लगी तो अपनी पत्नी को परेशान करने लगा। पत्नी ने तंग आकर उसे बीड़ी दे दी। स्टाफ की नजरों से बचने के लिए नन्नें ने कंबल के अंदर मुंह छिपाया और ऑक्सीजन मास्क निकाल कर बीड़ी सुलगा ली! फिर क्या था ऑक्सीजन और आग के संपर्क में आने से कंबल के अंदर आग का गोला उठा और कंबल ने आग पकड़ ली। कंबल उसके कंधे और गर्दन में चिपक गया और वह छुलस गया।
मरीज उठकर बाहर की तरफ भागने लगे
एमआईसीयू में आग देखते ही अन्य भर्ती मरीजों और उनके परिजन की सांसे फूल गईं और जान हलक तक आ गई। अफरा—तफरी मची तो जो मरीज चल सकते थे वे उठकर बाहर की तरफ भागे। जो मरीज गंभीर थे उनके परिजन उन्हें उठाकर बाहर ले गए। दूसरी ओर कर्मचारियों और अन्य स्टाफ ने दौड़कर फायर एस्टींग्यूशर उठाकर आग बुछाई। चंद मिनट में ही आग पर काबू पा लिया गया। गनीमत रही सभी ने तत्परता दिखाकर आग को काबू में कर लिया और आग नन्हेंभाई के पलंग पर लगे आॅक्सीजन प्वाइंट से आगे नहीं बढ़ी अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था।
बीड़ी-माचिस अंदर कैसे पहुंची, कमेटी जांच करेगी
मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ.पीएस ठाकुर ने मामले को गंभीरता से लेकर तत्काल कमेटी गठित कर जांच के निर्देश दिए हैं। इसमें लापरवाह स्टाफ की लापरवाही भी तय करने के निर्देश दिए गए हैं। बता दें कि बीएमसी में बीड़ी, सिगरेट, गुटका, पान आदि सब प्रतिबंधित है। एमआईसीयू तक बीड़ी और माचिस मरीज व परिजन कैसे लेकर पहुंच गए? यहां मरीज के परिजन को ठहरने की अनुमति नहीं है, फिर पत्नी कैसे पलंग के पास रात में बैठी थी।
बीएमसी के पास स्थाई फायर एनओसी भी नहीं
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज प्रारंभ हुए 15 साल हो गए हैं। बावजूद इसके प्रबंधन आज तक संस्थान के लिए स्थाई फायर एनओसी तक नहीं ले पाया है। बीएमसी में फायर स्टेशन बना हुआ है, हर वार्ड और कॉलेज, अस्पताल, आवासीय परिसर में फायर सिस्टम बना हुआ है, बावजूद इसके बीएमसी नगर निगम से स्थाई फायर एनओसी नहीं ले पा रहा है। बता दें कि बीते एक सालों में बीएमसी में आग लगने की कुछ घटनाएं हो चुकी हैं। इसमें सबसे बड़ी आग पीडियाट्रिक्स विभाग में एचओडी के चैंबर में लगी थी। आग ने उस समय गंभीर रूप ले लिया था और पूरा विभाग इसकी चपेट में आ गया था। कोरोना काल में आईसीयू में ही लगे हाई फ्लो आॅक्सीमीटर में भी ब्लॉस्ट होने से आग लग गई थी।