पूज्य श्री ने कहा कि सूत जी ने इसी कथा का वर्णन 88 हजार सौनकादि ऋषियों के सामने किया। जो मानव कल्याण के लिए यज्ञ कर रहे थे। लेकिन ऋषियों को संशय था कि यज्ञ से कैसे मानव कल्याण होगा। यही कल की कथा का आगे का भाग है जिसमें धर्म तो आपको विस्तार से बताया था। आज परम धर्म समझाते हैं। यह बात पं इंद्रेश जी महाराज ने बालाजी मंदिर परिसर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कही। उन्होंने कहा कि आत्मा का उत्थान ही परम धर्म है जो प्रेम से उत्पन्न होगा और प्रेम की दृढ़ता विश्वास से आएगी। जीवन मे कोई भी काम तब तक न करें जब तक आपको पूर्ण विश्वास न हो कि इससे उद्देश्य की प्राप्ति होगी। भागवत जी उस विश्वास को प्रदान करती हैं। यह ग्रंथ ठाकुर जी के दर्शन कराता है और तब एक ही भाव शेष रह जाता है कि हम जो कर रहे हैं ठाकुर जी के ही निमित्त कर रहे हैं। उन्होंने मीरा बाई, रसखान, रसिक हरिदास महाराज के पद सुनाकर सुंदर भावुक भजनों के माध्यम से प्रेम, भक्ति और सेवा को समझाया। तीसरे दिन की कथा में अतिरिक्त पंडाल लगाकर श्रोताओं के बैठने की व्यवस्था की गई।
मिनी वृंदावन नहीं अच्छा शब्द लघु वृंदावन या गुप्त वृंदावन होना चाहिए
उन्होंने कहा कि सागर के मंदिरों का दर्शन करने पर लगा ठाकुरजी प्रसन्न हैं। यहां की गलियों में वृंदावन का आभास हुआ है। ठाकुर जी वहीं रहते हैं जहां गिरिराज जी हों और यमुना जी हों। यह दोनों भाव हैं सागर के लोगों में गिरिराज जी की तरह सेवा का भाव है तो यमुना जी की तरह सरलता भी है। इसीलिए यहां वृंदावन का अनुभव होता है। यह मिनी वृंदावन नहीं अच्छा शब्द लघु वृंदावन या गुप्त वृंदावन होना चाहिए।
तमाल का वृक्ष वृंदावन में है या फिर सागर में देखा
तमाल का वृक्ष वृंदावन के अलावा कहीं पाया जाता है तो वह बुंदेलखंड है। 84 कोस की परिक्रमा तमाल के वृक्षों से लिपटकर भक्त ठाकुरजी का अनुभव करते हैं। इसके अलावा बुंदेलखंड में कदंब के वृक्ष भी हैं जो ठाकुरजी को अति प्रिय हैं। यहां के अटल बिहारी भगवान ने जैसी गो सेवा की है वैसी तो वृंदावन में भी नहीं हुई होगी। उन्होंने अटलबिहारी मंदिर से जुड़ी भगवान के द्वारा पुजारी के व्यस्त होने पर गौमाता को सानी बनाने की कथा सुनाई।
कथा की प्रमुख बातें
-जहां अपनी प्रसन्नता प्रधान है वह पूजा है और जहां ठाकुरजी की प्रसकन्नता की कामना हो वह भक्ति है।
-ठाकुर जी को ऐसा भोग लगाओ जो नाम और देखने मे भी सात्विक, वात्सल्यता और सुखमय प्रतीत हो
-बसंत पंचमी पर ठाकुर जी के मोज़े इसलिए उतरते हैं क्योंकि इसी दिन से होली शुरू होती है। ठाकुर जी वृंदावन में पादुकाएं नहीं पहनते ताकि उनके पद चिन्हों को देखकर गोपियाँ उन्हें ढूंढ सकें।
श्रद्धालुओं को किया भाव विभोर
कथा व्यास परम पूज्य पं. इंद्रेशजी महाराज ने अति सुन्दर मनमोहक भजनों के माध्यम से उपस्थित श्रद्धालुओं को भाव विभोर किया एवं श्रद्धालुओ ने भी मधुर भजनों पर जमकार भक्ति की। तृतीय दिवस की कथा विश्राम के पूर्व मुख्य यजमान अनुश्री शैलेन्द्र कुमार जैन, पूर्व विधायक सुनील जैन, केबिनेट मंत्री इन्दर सिंह परमार, विधानसभा प्रमुख सचिव एपी सिंह, मिस एशिया टूरिज्म 2018 रही कु. तानिया मित्तल, डीआईजी सुनील कुुमार जैन, निगम आयुक्त राजकुमार खत्री, नगर निगम अध्यक्ष वृन्दावन अहिरवार, प्रमेन्द्र गोलू रिछारिया, पूर्व विधायक पारूल साहू, अरविन्द्र हर्डीकर, रामराजीव साहू, यष अग्रवाल, हेमंत यादव, नितिन बंटी शर्मा, पृथ्वी सिंह ठाकुर, विनीत पटेरिया, नीरज यादव, जयवंत सिंह ठाकुर थाना प्रभारी मोतीनगर, जीएस रोहित प्राचार्य आर्ट एण्ड कॉमर्स कॉलेज सागर, जिला शिक्षा अधिकारी अरविन्द जैन सहित हजारों की संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित रहे।