सागर। मप्र में सागर जिले के प्रत्येक खेत पर धारा 144 लागू कर दी गई है… कलेक्टर सह डीएम ने एक आदेश जारी का पूर जिले में खेत में नरवाई और पराली जलाने को सख्ती से प्रतिबंधित किया गया है। यदि किसी खेत में धुंआ उठता दिखाई दिया तो किसान पर 2500 से लेकर 15 हजार रुपए तक प्रति घटना के अनुसार जुर्माना भी वसूला जाएगा। जिले में पाल्युशन कंट्रोल के नजरिये से यह आदेश जारी किया गया है।
सागर जिले में प्रदूषण नियंत्रण के मद्देनजर जिला प्रशासन ने सख्त कदम उठाया है। कलेक्टर संदीप जीआर ने खेतों में भी धारा 144 लगा दी है। आदेश के बाद अब पूरे जिले में कोई भी किसान खेत में नरवाई या पराली नहीं जला सकता है। खेत में यदि धुंआ उठता नजर आया तो खेत मालिक और किसान पर जुर्माना लगाया जाएगा। इसमें 2 एकड़, 5 एकड़ तक व 5 एकड़ से अधिक रकबे के किसानों पर जुर्माने की रकम भी अलग—अलग होगी। जुर्माना जितनी दफा पराली या नरवाई जलती मिलेगी उतनी बार लगाया जाएगा। कलेक्टर सागर ने मानव स्वास्थ्य के मद्देनजर और स्वांस के खतरे के दृष्टिगत आदेश जारी किया है। आदेश की कापी सागर कलेक्टोरेट से लेकर प्रत्येक तहसील व गांव की चौपाल की दीवारां तक पर चिपकाया जा रहा है।
कितनी जमीन पर कितना जुर्माना
जिला प्रशासन ने नरवाई और पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माने की राशि का भी प्रावधान किया है। इसमें ढाई हजार से पंद्रह हजार रुपए तक का प्रावधान है। आदेश के अनुसार नरवाई जलाने वाले किसानों में 2 एकड़ तक के किसान पर 2500 रुपए का अर्थदंड प्रति घटना, 2 से 5 एकड़ तक के किसानों को 5000 रुपए का अर्थदंड प्रति घटना तथा 5 एकड़ से बड़े किसानों पर 15,000 रुपए तक का अर्थदंड प्रति घटना के अनुसार वसूला जाएगा।
गांवों में मुनादी होगी, आदेश जगह-जगह चिपकाया जाएगा
कलेक्टर संदीप जीआर ने कहा कि आदेश की सूचना जन सामान्य को मुनादी द्वारा दी जाए आदेश की प्रतियां कलेक्टर कार्यालय, तहसील कार्यालय, कृषि उपज मंडी, पुलिस थाना, जनपद पंचायत, नगर पालिका, ग्राम पंचायत आदि के सूचना पटल पर चस्पा की जाए। यह आदेश तत्काल प्रभाव से प्रभावशील होगा। इस आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जाएगी।
पीसीबी और कृषि विभाग की रिपोर्ट के बाद कार्रवाई
दरअसल मप्र सहित पूरे देश में वायु प्रदूषण और खेतों से उठते धुंए तो देखते हुए सागर कलेक्टर सह जिला दंडाधिकारी संदीप जीआर ने बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने जिले की सीमा के अंदर कहीं भी खेत में पराली या नरवाई जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। आदेश में स्पष्ट है कि दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के तहत खेत में पराली और नरवाई जलाने वाले किसानों पर जुर्माना लगाया जाएगा। आदेश में कहा गया है कि धारा 144 के अंतर्गत जन सामान्य, मानव जीवन स्वास्थ्य, स्वांस के खतरे के प्रभाव को दृष्टिगत रखते हुए सागर जिले के खेत में धान की फसल के अवशेष (पराली) खडे गेहूं के तलों (नरवाई) एवं फसल अवशेषों में आग लगाए जाने पर प्रतिबंध लगाया जाता है। यह भी स्पष्ट किया गया है आग और धुएं से होने से रोकने एवं प्रदूषण की रोकथाम के लिए प्रदूषण निवारण एवं नियंत्रण अधिनियम 1981 के प्रावधानों का पालन करते हुए नरवाई जलाना ततसमय से तत्काल प्रतिबंधित किया गया है। जो कि वर्तमान में निरंतर प्रतिबंधित रहेगा।
नरवाई जलाने से भूमि की उर्वरता एवं उत्पादकता प्रभावित होती है
कलेक्टर संदीप जीआर ने जानकारी देते हुए बताया कि नरवाई जलाने से भूमि की उर्वरता एवं उत्पादकता प्रभावित होती है। खेत में आग लगने से खेत के माइक्रोफ्लोरा एवं माइक्रोफोना नष्ट हो जाते है। मृदा एक जीवित माध्यम है, क्योंकि इसमें असंख्यक सूक्ष्म जीव निमें बैक्टरियां, फंगस, सहजीविता निर्वहन करने वाले सूक्ष्म लाभदायक जीवाणु नष्ट हो जाते है, जो कि भूमि की उर्वरता एवं उत्पादकता में सहायक होते है। नरवाई जलाने से खेत की उर्वरता में लगातार गिरावट आ रही है, जिससे फसल उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।